फसलों की बुआई का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी अनधिक विलम्ब से प्रभावित हो सकती हैं। अगर बुआई समय पर नहीं की जाए, तो फसलों पर कीट और रोगों का हमला हो सकता है, जिससे उत्पादन में कमी आ सकती है। इसलिए, किसानों को समय से पहले फसलों की बुआई करनी चाहिए। इंदौर के सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में सोयाबीन की बुआई करने के उचित समय का महत्व बताया है। इससे किसान अच्छे उत्पादन की सुनिश्चित कर सकते हैं, और अपनी खेती को सुधार सकते हैं।
संस्थान के अनुसार, मध्य क्षेत्र के किसानों को सोयाबीन की बुआई करनी चाहिए, जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक। लेकिन, किसानों को ध्यान देना चाहिए कि सोयाबीन की बुआई को मानसून के आने के बाद ही करना चाहिए, जब कम से कम 10 सेमी की वर्षा हो चुकी हो। इससे प्राकृतिक तरीके से फसल को सहारा मिलता है और उत्तम उत्पादन की संभावना बढ़ती है।
सोयाबीन की बुआई के लिए उपयुक्त समय क्या है?
सोयाबीन की बुआई का सही समय मध्य क्षेत्र और उत्तरी मैदानी क्षेत्र के किसानों के लिए 20 जून से 5 जुलाई के बीच है, जिसमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड और पूर्वी बिहार शामिल हैं। किसानों को बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 65 किलोग्राम बीज का उपयोग करना चाहिए, और क़तारों की दूरी को 45 सेमी रखना चाहिए। यह समय सोयाबीन के संयंत्री विकास के लिए आदर्श माना जाता है और उचित पैदावार की गारंटी प्रदान करता है।
पूर्वी क्षेत्र और उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में, जैसे कि छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में, किसानों को 15 जून से 30 जून के बीच सोयाबीन की बुआई करनी चाहिए। बुआई के लिए किसान 55 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज का उपयोग करें, और वहीं क़तारों की दूरी को 45 सेमी रखें।
दक्षिणी क्षेत्रों में, जैसे कि कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, और महाराष्ट्र के दक्षिणी हिस्सों में, किसानों को 15 जून से 30 जून के बीच सोयाबीन की बुआई करनी चाहिए। बुआई के लिए किसान 65 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज का उपयोग करें, और वहीं क़तारों की दूरी को 30 सेमी रखें।
यश रामभाऊ सदाफुले, पुणे निवासी, एक अनुभवी हिंदी कंटेंट राइटर हैं। उन्होंने Mass communication and journalism में अपनी शिक्षा पूरी की है। यश ने अपने करियर की शुरुआत एग्रोन्यूज इंडिया.कॉम से की, जहां उन्होंने कृषि, ऑटोमोबाइल फाइनेंस और खेल विषयों पर विशिष्ट लेखन किया। यश का लेखन गहन शोध और विश्लेषण पर आधारित होता है, जिससे वे अपने पाठकों को सटीक और विस्तृत जानकारी प्रदान कर पाते हैं। उनके लेखन की स्पष्टता और सजीवता पाठकों को जानकारी के साथ-साथ एक रोचक अनुभव भी प्रदान करती है। यश की लेखनी ने उन्हें हिंदी कंटेंट लेखन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।