आज के इस दौर में मुर्गा पालन एक अत्यंत लोकप्रिय व्यवसाय के रूप में उभर कर सामने आया है। बड़ी संख्या में लोग अब मुर्गी पालन कर रहे हैं और इस व्यवसाय से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। मुर्गी पालन की खासियत यह है कि इसमें कम लागत से भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों के लोग इस व्यवसाय में अधिक रुचि दिखा रहे हैं और इसे अपनाने लगे हैं।
बिहार के बांका जिले के कटोरिया प्रखंड के सिहुलिया गांव निवासी मनोज यादव भी आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए मुर्गी पालन का सहारा लिया। मनोज ने देसी और सोनाली नस्ल की मुर्गियों का पालन शुरू किया और अब वे हर महीने 40,000 रुपये से अधिक कमा रहे हैं। मनोज यादव ने अपने इस व्यवसाय की शुरुआत फरवरी 2024 में की थी। उन्होंने 17 मुर्गियों से शुरुआत की, जिसकी कुल लागत मात्र 4000 रुपये थी।
मनोज बताते हैं कि वे निम्नवर्गीय परिवार से आते हैं और पहले अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए घर से बाहर जाकर काम करते थे। उस समय उन्हें केवल 19,000 रुपये की मासिक आय होती थी, जिससे परिवार का गुजारा मुश्किल हो रहा था। लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनके गांव के कई लोग मुर्गी पालन से अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं, तो उन्होंने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया।
मनोज ने शुरुआत में ही यह समझ लिया था कि मुर्गी पालन के लिए निरंतर मेहनत और समर्पण की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी महसूस किया कि अगर यह व्यवसाय सही तरीके से किया जाए, तो इसमें अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसलिए, उन्होंने पहले 17 मुर्गियों से शुरुआत की और फिर धीरे-धीरे इस व्यवसाय को बढ़ाया। जब वे बाहर काम करने गए, तब उनकी पत्नी ने फार्म का संचालन संभाला। उनके वापस आने पर दोनों ने मिलकर इस व्यवसाय को और आगे बढ़ाया।
मनोज बताते हैं कि वर्तमान में उनके पास 1000 से अधिक देसी और सोनाली नस्ल की मुर्गियां हैं। इन मुर्गियों से वे रोजाना 100 से अधिक अंडे प्राप्त करते हैं। मनोज का मानना है कि देसी मुर्गी का पालन पोल्ट्री मुर्गी से कम लागत में होता है और इसमें किसी तरह के संक्रमण का डर भी नहीं होता है।
देसी मुर्गी पालन की प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए मनोज कहते हैं कि शुरू के दिनों में मुर्गियों को दाना दिया जाता है, उसके बाद वे खुद चरकर अपना पेट भर लेती हैं। समय-समय पर मुर्गियों को दाने की जगह गेहूं का दर्रा, मक्का का दर्रा और चावल भी दिया जाता है। पोल्ट्री मुर्गी जहां 28 दिनों में तैयार हो जाती है, वहीं देसी मुर्गी को तैयार होने में 90 दिनों का समय लगता है।
मनोज के अनुसार, 90 दिनों में मुर्गी का साइज 1 किलो 200 ग्राम हो जाता है, जिसकी कीमत 550 रुपये से 600 रुपये के बीच होती है। इस प्रकार, देसी मुर्गी का पालन न केवल कम लागत में होता है, बल्कि इससे अच्छा मुनाफा भी होता है।
मनोज यादव का कहना है कि मुर्गी पालन में सबसे महत्वपूर्ण है सही नस्ल का चयन और उनके खाने-पीने का ध्यान रखना। उन्होंने बताया कि देसी मुर्गियों में बीमारियों का खतरा कम होता है और वे स्थानीय परिस्थितियों के लिए अधिक अनुकूल होती हैं।
मनोज के इस प्रयास ने न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर किया है, बल्कि उन्होंने अपने गांव के अन्य लोगों को भी इस व्यवसाय की ओर प्रेरित किया है। उनके इस सफलता की कहानी से प्रेरित होकर कई अन्य ग्रामीण भी मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं।
मनोज का मानना है कि मुर्गी पालन के व्यवसाय में समर्पण और मेहनत के साथ-साथ सही जानकारी का होना भी आवश्यक है। उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा है कि इस व्यवसाय में धैर्य और सतत प्रयास से ही सफलता मिल सकती है। उन्होंने अपने गांव में मुर्गी पालन की एक मिसाल कायम की है और अब वे अन्य लोगों को भी इसके फायदे समझाने में जुटे हैं।
मनोज यादव की कहानी हमें यह सिखाती है कि सही दिशा में मेहनत और संकल्प के साथ किया गया प्रयास किसी भी समस्या का समाधान कर सकता है। उनके द्वारा अपनाई गई तकनीक और मेहनत से मुर्गी पालन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने का सपना देखा जा सकता है। मनोज यादव ने यह साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो और सही मार्गदर्शन मिले, तो किसी भी चुनौती का सामना करके सफलता पाई जा सकती है।
यश रामभाऊ सदाफुले, पुणे निवासी, एक अनुभवी हिंदी कंटेंट राइटर हैं। उन्होंने Mass communication and journalism में अपनी शिक्षा पूरी की है। यश ने अपने करियर की शुरुआत एग्रोन्यूज इंडिया.कॉम से की, जहां उन्होंने कृषि, ऑटोमोबाइल फाइनेंस और खेल विषयों पर विशिष्ट लेखन किया। यश का लेखन गहन शोध और विश्लेषण पर आधारित होता है, जिससे वे अपने पाठकों को सटीक और विस्तृत जानकारी प्रदान कर पाते हैं। उनके लेखन की स्पष्टता और सजीवता पाठकों को जानकारी के साथ-साथ एक रोचक अनुभव भी प्रदान करती है। यश की लेखनी ने उन्हें हिंदी कंटेंट लेखन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।