किसान मुकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने जनवरी में विरार कंपनी की ब्रिंजल 361, 364 और 365 वैरायटी के बैंगन लगाए थे। फरवरी से ही फसल आने लगी थी और अप्रैल तक उन्होंने लगभग 30 से 40 क्विंटल बैंगन की तुड़ाई कर ली थी। मुकेश कुमार ने कहा कि ये वैरायटी उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी है और अब वे आगे भी इस प्रकार की फसल लगाने की योजना बना रहे हैं। इस फसल से उन्हें काफी अच्छा मुनाफा हुआ है, जिससे आसपास के किसान भी प्रेरित हुए हैं।
सब्जियों की खेती हमेशा से किसानों के लिए लाभदायक साबित हुई है। बाजार में हरी सब्जियों की मांग साल भर बनी रहती है, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिलता है। इस मांग को ध्यान में रखते हुए, किसान विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती करते हैं। हजारीबाग के डेमोटेंड के निवासी, किसान मुकेश कुमार ने अपने एक एकड़ खेत पर बैंगन की खेती की, जिससे उन्हें शानदार मुनाफा हुआ है।
मुकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने विरार कंपनी के ब्रिंजल 361, 364, और 365 वैरायटी के बैंगन जनवरी महीने में लगाए थे। फरवरी से फसल आनी शुरू हो गई और अप्रैल तक उन्होंने लगभग 30 से 40 क्विंटल बैंगन की तुड़ाई कर ली थी। मुकेश कुमार ने बताया कि इन वैरायटी के बैंगन ने उनकी उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया है और अब आगे भी इसी तरह की फसल लगाने की योजना बना रहे हैं।
मुकेश कुमार की सफलता ने आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया है। अब वे भी बैंगन की खेती करने की इच्छा जता रहे हैं। सब्जियों की खेती में उचित देखभाल और सही समय पर बुआई करने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है, और मुकेश कुमार इसका जीता जागता उदाहरण हैं। उनकी सफलता की कहानी ने साबित कर दिया है कि मेहनत और सही रणनीति से खेती में भी बड़ा लाभ कमाया जा सकता है।
अप्रैल में तोड़ी गई 40 क्विंटल बैंगन की फसल
इस पूरे खेत में बिना किसी रसायन का उपयोग किए खेती की गई थी। खाद की जगह इसमें केवल गोबर और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया गया, जिससे फसल और भी बेहतर हो गई। इस जैविक पद्धति के कारण बैंगन की गुणवत्ता में वृद्धि हुई और पौधे दूसरी फसल देने के लिए भी तैयार रहे।
मुकेश कुमार के खेत में अप्रैल महीने में लगभग 40 क्विंटल बैंगन की तुड़ाई की गई थी। उन्होंने बताया कि जून महीने की शुरुआत के साथ ही पौधों में फिर से बैंगन आने लगे हैं, जिससे उम्मीद है कि लगभग 30 क्विंटल और उपज प्राप्त होगी। इस तरह, रसायनों के बिना भी अच्छी और सुरक्षित खेती संभव है, और मुकेश कुमार की यह सफलता इसी का प्रमाण है। उनका यह प्रयास न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित और टिकाऊ है।
1 एकड़ पर मात्र 12000 रुपए का खर्च
बैंगन की खेती में लगभग 1 एकड़ में 12000 रुपए का खर्च आया था, और अब तक 35000 से अधिक का बैंगन उत्पन्न हो चुका है। गर्मियों में बाजार में बैंगन की मांग बढ़ जाती है, जिससे उम्मीद है कि फसल की कीमत अब 40000 से अधिक हो सकती है। खेत से होलसेल व्यापारी खुद ही उत्पादन को खरीद लेते हैं, जिससे किसान को बाजार में अपनी फसल बेचने की चिंता नहीं होती। इससे, किसान कृषि के कामों में और भी ज्यादा समय दे पाते हैं, जो उनके लिए एक बड़ी सुविधा है।
यश रामभाऊ सदाफुले, पुणे निवासी, एक अनुभवी हिंदी कंटेंट राइटर हैं। उन्होंने Mass communication and journalism में अपनी शिक्षा पूरी की है। यश ने अपने करियर की शुरुआत एग्रोन्यूज इंडिया.कॉम से की, जहां उन्होंने कृषि, ऑटोमोबाइल फाइनेंस और खेल विषयों पर विशिष्ट लेखन किया। यश का लेखन गहन शोध और विश्लेषण पर आधारित होता है, जिससे वे अपने पाठकों को सटीक और विस्तृत जानकारी प्रदान कर पाते हैं। उनके लेखन की स्पष्टता और सजीवता पाठकों को जानकारी के साथ-साथ एक रोचक अनुभव भी प्रदान करती है। यश की लेखनी ने उन्हें हिंदी कंटेंट लेखन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।