विशेष संवाददाता |16 सितंबर 2024 | weather update
देशभर में बारिश का सिलसिला अब भी जारी है। इस साल, दिल्ली समेत कई राज्यों में रिकॉर्डतोड़ बारिश देखने को मिल रही है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस साल मानसून के देर तक टिकने का मुख्य कारण ‘यागी’ तूफान है, जिसने देश के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित किया है। अब इस तूफान के बाद, ‘ला नीना’ के असर का अनुमान लगाया जा रहा है, जिससे देश में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये ठंड सामान्य से अधिक कठोर हो सकती है।
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पिछले तीन दिनों से दिल्ली, नोएडा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है। जहां यह बारिश गर्मी से राहत देने वाली साबित हो रही है, वहीं कई क्षेत्रों में यह लोगों के लिए मुसीबत बन चुकी है। लगातार हो रही बारिश के कारण जलभराव और यातायात संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल सितंबर के अंत तक मानसून की विदाई के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं, जो सामान्य से काफी अलग है।
मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। इन राज्यों के कई हिस्सों में अभी भी भारी बारिश हो रही है। हालांकि, उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बारिश का असर कम होता दिख रहा है, लेकिन अभी भी मानसून का प्रकोप जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून कब पूरी तरह से विदा होगा, यह कहना अभी मुश्किल है, क्योंकि मौसम की स्थिति काफी अस्थिर बनी हुई है।
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इस बार मानसून की विदाई कब होगी, इसे लेकर भी अभी कोई निश्चित जानकारी नहीं है। मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर प्रदेश में मानसून कमजोर पड़ना शुरू हो गया है, लेकिन इसके पूरी तरह से विदा होने की तारीख अभी तय नहीं है। 2023 में 25 सितंबर को मानसून विदा हो गया था, लेकिन इस बार अनुमान है कि यह प्रक्रिया अक्टूबर के अंत तक जा सकती है। ‘यागी’ तूफान के चलते इस बार मानसून की अवधि बढ़ी हुई नजर आ रही है।
इस साल के मौसम में एक और महत्वपूर्ण बदलाव ‘ला नीना’ का असर है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, फिलहाल ला नीना की स्थिति तटस्थ बनी हुई है, लेकिन आने वाले महीनों में इसका प्रभाव तेज हो सकता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेताया है कि अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक ‘ला नीना’ के असर में 60% तक वृद्धि होने की संभावना है। यह स्थिति देशभर में सर्दियों के मौसम को और भी कठोर बना सकती है।
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ला नीना का प्रभाव सीधे तौर पर देश की ठंड पर पड़ेगा, जिसके कारण इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने का अनुमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस ठंड के दौरान सामान्य से अधिक ठंडी हवाएं और बर्फबारी देखने को मिल सकती है। हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना बढ़ सकती है, जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों को भी प्रभावित करेगी। यह स्थिति किसानों और आम जनता के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकती है।
वहीं, मानसून की बात करें तो 2024 का मानसून अब तक सामान्य से काफी अधिक समय तक टिकता दिख रहा है। यह स्थिति खेती और जल संसाधनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन साथ ही अधिक बारिश के कारण फसलों को नुकसान पहुंचने का खतरा भी बढ़ सकता है। किसानों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है, ताकि संभावित नुकसान से बचा जा सके।
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मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी कुछ राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। खासकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने और आपातकालीन सेवाओं को तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।
सर्दियों के मौसम में आने वाले बदलावों को ध्यान में रखते हुए, देशभर के विभिन्न हिस्सों में सरकार और प्रशासन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। कड़ाके की ठंड के चलते बिजली की मांग बढ़ने का अनुमान है, जिससे ऊर्जा क्षेत्र पर भी दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जिसके लिए विशेष इंतजाम किए जाने की आवश्यकता होगी।
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इस साल के असामान्य मौसम ने सभी को चौंका दिया है। जहां एक ओर मानसून का देर तक टिकना और दूसरी ओर ‘ला नीना’ के कारण पड़ने वाली ठंड, दोनों ही स्थितियां देश के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित कर सकती हैं। आने वाले महीनों में मौसम कैसा रहेगा, यह देखना बेहद दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण होगा।